Friday 1 November 2019

Alkaline पानी से कोई भी रोग हो यहाँ तक कैंसर भी Alkaline वातावरण में पनप नहीं सकता – डॉक्टर Otto Warburg.

दोस्तों कई दिनों से हम सोच रहे थे के हम आपको एक ऐसी चीज बताएं जिस से के आपके शरीर के सभी रोग स्वतः ही समाप्त हो जाए, जैसे डायबिटीज, कैंसर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, जोड़ों का दर्द, UTI – पेशाब के रोग, Osteoporosis, सोरायसिस, यूरिक एसिड का बढ़ना, गठिया – Gout, थाइरोइड, गैस, बदहजमी, दस्त, हैजा, थकान, किडनी के रोग, पेशाब सम्बंधित रोग, पत्थरी और अन्य कई प्रकार के जटिल रोग. इन सबको सही करने का सबसे सही और सस्ता उपयोग है शरीर को एल्कलाइन कर लेना. किसी डॉक्टर ने इसके बारे में क्या खूब कहा है के –

“No Disease including cancer, can exist in an alkaline envioronment” Dr. Otto Warburg – Noble Prize Winner 1931


Ph level kya hai – पी एच लेवल क्या है?

इसको समझने के लिए सबसे पहले आपको PH को समझना होगा, हमारे शरीर में अलग अलग तरह के द्रव्य पाए जाते हैं, उन सबकी PH अलग अलग होती है, हमारे शरीर की सामान्य Ph 7.35 से 7.41 तक होती है, PH पैमाने में PH 1 से 14 तक होती है, 7 PH न्यूट्रल मानी जाती है, यानी ना एसिडिक और ना ही एल्कलाइन. 7 से 1 की तरफ ये जाती है तो समझो एसिडिटी बढ़ रही है, और 7 से 14 की तरफ जाएगी तो Alkalinity क्षारीयता बढ़ रही है. अगर हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को Alkaline की तरफ लेकर जाते हैं. तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं, और उनको हमेशा के लिए Cure कर सकते हैं.

cancer and PH – कैंसर

उदहारण के तौर पर सभी तरह के कैंसर सिर्फ Acidic Environment में ही पनपते हैं. क्यूंकि कैंसर की कोशिका में शुगर का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में Fermentation होता है जिससे अंतिम उत्पाद के रूप में लैक्टिक एसिड बनता है और यही लैक्टिक एसिड Acidic Environment पैदा करता है जिस से वहां पर एसिडिटी बढती जाती है और कैंसर की ग्रोथ बढती जाती है. और ये हम सभी जानते हैं के कैंसर होने का मूल कारण यही है के कोशिकाओं में ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा में और ना के बराबर पहुँचता है. और वहां पर मौजूद ग्लूकोस लैक्टिक एसिड में बदलना शुरू हो जाता है.

Gout and PH – गठिया

दूसरा उदहारण है के Gout जिसको गठिया भी कहते हैं, इसमें रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे रक्त एसिडिक होना शुरू हो जाता है, जितना ब्लड अधिक एसिडिक होगा उतना ही यूरिक एसिड उसमे ज्यादा जमा होना शुरू हो जायेगा. अगर हम ऐसी डाइट खाएं जिससे हमारा पेशाब Alkaline हो जाए तो ये बढ़ा हुआ यूरिक एसिड Alkaline Urine में आसानी से बाहर निकल जायेगा.

UTI and PH – पेशाब का संक्रमण

तीसरा उदहारण है के UTI जिसको Urinary tract infection कहते हैं, इसमें मुख्य रोग कारक जो बैक्टीरिया है वो E.Coli है, ये बैक्टीरिया एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है. इसके अलावा Candida Albicanes नामक फंगस भी एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है. इसीलिए UTI तभी होते हैं जब पेशाब की PH अधिक एसिडिक हो.

Kidney and PH – किडनी

चौथी एक और उदाहरण देते हैं के किडनी की समस्या मुख्यतः एसिडिक वातावरण में ही होती है, अगर किडनी का PH हम एल्कलाइन कर देंगे तो किडनी से सम्बंधित कोई भी रोग नहीं होगा. मसलन क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, पत्थरी इत्यादि समस्याएँ जो भी किडनी से सम्बंधित हैं वो नहीं होंगी.

वर्तमान स्थिति

आजकल हम जो भी भोजन कर रहें हैं वो 90 प्रतिशत तक एसिडिक ही है, और फिर हमारा सवाल होता है के हम सही क्यों नहीं हो रहे. या फिर कहते हैं के हमने ढेरों इलाज करवाए मगर आराम अभी तक नहीं आया. बहुत दवा खायी मगर फिर भी आराम नहीं हो रहा. तो उन सबका मुख्यः कारण यही है के उनका PH लेवल कम हो जाना अर्थात एसिडिक हो जाना. आज हम इसी विषय पर बात करेंगे के कैसे हम अपना PH level बढ़ाएं और इन बिमारियों से मुक्ति पायें.👉सम्पर्क. Satish Shukla 7505774440
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