Alkaline पानी से कोई भी रोग हो यहाँ तक कैंसर भी Alkaline वातावरण में पनप नहीं सकता – डॉक्टर Otto Warburg. किसी डॉक्टर ने इसके बारे में क्या खूब कहा है के – “No Disease including cancer, can exist in an alkaline envioronment” Dr. Otto Warburg – Noble Prize Winner 1931 👉सम्पर्क. Satish Shukla 7505774440
Tuesday, 14 January 2020
*Living Water and Hunza Water*
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Alkaline ionized water is called ‘Living Water’. It is similar in atomic structure to the waters that the people of Hunza drink directly from glacial streams in the high Himalayas. It is fresh, invigorating, life enhancing, free radical scavenging and delicious
The Hunza have the longest life span in the world and this has been traced as related to the water that they drink and their natural diet. Hunza water is an example of perfect natural water. Hunza has people who routinely live to 120-140 years, in good health with virtually no cancer, degenerative disease, dental caries or bone decay. Hunza people remain robust and strong and are also able to bear children even in old age. Research has proven conclusively that the major common denominator of the healthy long-living people is their local water.
Dr. Henri Coanda, the Romanian father of fluid dynamics is believed to be the first scientist to study the physical properties of Hunza water to determine what it was in this water that caused such beneficial effects for the body. His studies suggested that Hunza glacier water appeared to have a different viscosity and surface tension then normal city water.
Dr. Patrick Flanagan and others picked up on this research. They found Hunza water had a high alkaline pH (high mineral content) and a high amount of active hydrogen (hydrogen with an extra electron), with a high negative Redox Potential (ORP).
Similar natural water properties and longevity are found in other remote unpolluted places such as the Shin-Chan areas of China, the Caucasus in Azerbaijan, and in the Andes Mountains
History of The Water Ionizer: re-creating Hunza Water
In the late 40’s and early 50’s there was a lot of interest amongst researchers on the health of the Hunza mountainous people living in the foothills of the Himalayas. They showed little disease, no tooth decay, very long life spans and robust health even in old age. Researchers wanted to establish what could account for it. They concluded that it could be due to the Hunza diet, in particular the glacier water that they drank, as well as the clean air and natural diet.
The properties of Hunza water were studied in depth. In efforts to recreate this ‘magical’ Hunza water, Japanese scientists investigated Russian electrolysis technology. They found that electricity could be used to re-structure the water, giving it properties similar to Hunza water.
This was the birth of Japanese functional water technology, first developed in Japan in the early 1950’s. The used electricity and magnets to improve the qualities of water. They conducted experiments, first on plants and animals, and found significant differences as compared to tap water in terms of growth and general health. Animals and plants remember are not subject to the placebo effect.
Full scale experiments were started by several agricultural universities in 1954.
Experiments on the human body followed, conducted by Japanese doctors.
Satisfied with the experimental results, large ionizers were built in coordination with the Japanese Government. The first ionizers built were large units used in Japanese Hospitals in the early 60’s.
Following efforts by Japanese medical doctors and agriculture doctors, the water ionizer was approved for medical therapeutics by the Japanese Ministry of Health and Rehabilitation in January 1966. Later they were also approved as medical devices by the government of South Korea.
Some 30 million people in Japan have used a water ionizer over the last 40 years.
Call For Demo And Testing : Satish Shukla 7505774440
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Uses of Enagic Kangen Water.....
*केंगेन पानी के प्रकार और उनके उपयोग 💧😀:*
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1- *क्षारीय (Alkaline) जल* (8.5, 9 & 9.5 PH) : पीने के लिए सर्वोत्तम और स्वास्थ्य के लिये अमृत समान...शुद्ध प्राकृतिक जल.. 8.5 PH भोजन पकाने के लिए और स्वाद बढ़ाने के लिए उपयुक्त._
_2- *स्वच्छ (Clean) जल* (7 PH) : शिशुओं के पीने के लिए और किसी भी औषधि के साथ प्रयोग करने हेतु न्यूट्रल जल_
_3- *सौंदर्य (Beauty) जल* (4.5 PH से 6 PH) : त्वचा के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक PH का पानी है जो त्वचा में झुर्रियां कम करने, झाईयाँ घटाने और मुहाँसे दूर करने के साथ ही त्वचा को मुलायम भी बनाता है। बालों में चमक और चिकनाहट लाता है।_
_4- *अति अम्लीय (Strong Acidic) जल*(2.5 PH) : सबसे शानदार केमिकलरहित सैनिटाइजर. इन्फेक्शन को नियंत्रित करने में सर्वोत्तम, किसी भी बैक्टीरिया को नष्ट करता है 30-40 सैकंड में. कुल्ला करने, मुंह की दुर्गन्ध दूर करने, घाव साफ़ करने, फर्श को कीटाणुरहित करने और संक्रमण को नियंत्रित करने में उपयोगी जल. आँखों में इन्फेक्शन को दूर करने के लिए ऑय ड्राप की जगह उपयोग करें._
_5- *अति क्षारीय (Strong Alkaline) जल* (11.5 PH) : अति क्षारीय और सूक्ष्म हल्का जल फलों, सब्ज़ियों और अनाजों को कीटनाशकरहित करने और ज़हरीले दुष्प्रभाव से मुक्त करने के लिए, तैलीय त्वचा के लिए क्लींजर के रूप में उपयोगी.
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1- *क्षारीय (Alkaline) जल* (8.5, 9 & 9.5 PH) : पीने के लिए सर्वोत्तम और स्वास्थ्य के लिये अमृत समान...शुद्ध प्राकृतिक जल.. 8.5 PH भोजन पकाने के लिए और स्वाद बढ़ाने के लिए उपयुक्त._
_2- *स्वच्छ (Clean) जल* (7 PH) : शिशुओं के पीने के लिए और किसी भी औषधि के साथ प्रयोग करने हेतु न्यूट्रल जल_
_3- *सौंदर्य (Beauty) जल* (4.5 PH से 6 PH) : त्वचा के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक PH का पानी है जो त्वचा में झुर्रियां कम करने, झाईयाँ घटाने और मुहाँसे दूर करने के साथ ही त्वचा को मुलायम भी बनाता है। बालों में चमक और चिकनाहट लाता है।_
_4- *अति अम्लीय (Strong Acidic) जल*(2.5 PH) : सबसे शानदार केमिकलरहित सैनिटाइजर. इन्फेक्शन को नियंत्रित करने में सर्वोत्तम, किसी भी बैक्टीरिया को नष्ट करता है 30-40 सैकंड में. कुल्ला करने, मुंह की दुर्गन्ध दूर करने, घाव साफ़ करने, फर्श को कीटाणुरहित करने और संक्रमण को नियंत्रित करने में उपयोगी जल. आँखों में इन्फेक्शन को दूर करने के लिए ऑय ड्राप की जगह उपयोग करें._
_5- *अति क्षारीय (Strong Alkaline) जल* (11.5 PH) : अति क्षारीय और सूक्ष्म हल्का जल फलों, सब्ज़ियों और अनाजों को कीटनाशकरहित करने और ज़हरीले दुष्प्रभाव से मुक्त करने के लिए, तैलीय त्वचा के लिए क्लींजर के रूप में उपयोगी.
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Re-find Oil Truth .....
तेल_का_खेल.....
सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... #रिफाईनड तेल
रिफाईनड तेल से DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता #कैंसर हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।
आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया |
डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं |
केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है...
रिफाइंड तेल
#रिफाइंड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर (डाईबिटीज), रक्त चाप, नपुंसकता *कैंसर,* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाइल्स, त्वचा रोग आदि। एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।
#रिफाईनड_तेल_बनता_कैसे_है?
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है। इस विधि में जो भी अखाद्य पदार्थ तेल में आते हैं, उन्हें साफ कर के तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है।
वाशिंग
वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि अखाद्य तत्व इस से बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल एसिड के कारण जहर बन गया है।
*Neutralisation*--
तेल के साथ कास्टिक सोडा या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
*Bleaching*--
इस विधि में P. O. P (प्लास्टर ऑफ पेरिस) /पी. ओ. पी. (यह मकान बनाने मे काम ली जाती है) का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है।
*Hydrogenation*--
एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बीमारियाँ होती हैं।
*निकेल*
एक प्रकार की उत्प्रेरक धातु होती है जो हमारे शरीर के श्वसन तंत्र यकृत, त्वचा, चयापचय, DNA, RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।
रिफाइंड तेल के सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और एसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
जयपुर के प्रोफेसर ने बताया कि गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लड़कर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!
हमारा शरीर करोड़ों कोशिकाओं से मिलकर बना है। शरीर को जीवित रखने के लिए पुरानी कोषिकाओं की जगह नयी कोषिकाएँ बनती रहती हैं। नयी कोशिकाएँ बनाने के लिए शरीर खून का उपयोग करता है। यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खून में विषाणुओं की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है,
तो कई प्रकार की बीमारियाँ जैसे---
कैंसर , मधुमेह, हार्ट अटैक, किडनी खराब, एलर्जी, पेट का अल्सर, असमय वृद्धावस्था, नपुंसकता, गठिया, अवसाद, रक्त चाप आदि हजारों बीमारियाँ होंगी।
रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पाम आयल मिलाया किया जाता है! (पाम आयल स्वयं एक धीमी मौत है।)
सरकार का आदेश--
हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का #पाम खपाने के लिए पूर्व सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 % खाद्य तेलों में #पामआयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ। पाम के कारण लोग अधिक बीमार पड़ने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 % बढ़ गई, तो दवाइयां भी अमेरिका की आने लगीं। हार्ट मे लगने वाली स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) दो लाख रुपये की बिकती हैं।
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाइयां भी उनकी!
अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता,
गाड़ी में से निकाला काला आयल (जिसे आप गाड़ी सर्विस करने वाली गैराज में छोड़ आते हैं)
वह भी रिफाइंड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है। अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरें आती हैं।
#सोयाबीन एक दलहन हैं, #तिलहन नहीं...
दलहन में... मूँग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम, जैतून, आदि आती हैं।
अतः सोयाबीन तेल भी पाम आयल ही होता है। पाम आयल को #रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह प्रत्येक तरल पदार्थ को सोख लेता है। पाम आयल एक दम काला और गाढ़ा होता है। उसमें साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है।
आटा से सोया मुँगौडी बनाई जाती है।
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहें। मेहनताना एक लाख रुपये भी देने पर वह तेल नहीं निकाल सकता, क्योंकि सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नहीं।
तो आप शुद्ध तेल खाइए, #सरसों का, #मूंगफली का, #तिल का, या #नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है |
तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है #प्रोटीन के लिए |
4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी | और ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे,
जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |
जब सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डाक्टरों ने जो कुछ भी कहा "तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |"
तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |
अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | #मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे #पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों #टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है |
7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है |
पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है.
#Refiend_oil, #Palmoil #Palm_oil
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