Alkaline पानी से कोई भी रोग हो यहाँ तक कैंसर भी Alkaline वातावरण में पनप नहीं सकता – डॉक्टर Otto Warburg. किसी डॉक्टर ने इसके बारे में क्या खूब कहा है के – “No Disease including cancer, can exist in an alkaline envioronment” Dr. Otto Warburg – Noble Prize Winner 1931 👉सम्पर्क. Satish Shukla 7505774440
Tuesday, 14 January 2020
Re-find Oil Truth .....
तेल_का_खेल.....
सबसे ज्यादा मौतें देने वाला भारत में कोई है तो वह है... #रिफाईनड तेल
रिफाईनड तेल से DNA डैमेज, RNA नष्ट, , हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर(डाईबिटीज), bp नपुंसकता #कैंसर हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द,कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाईलस, स्केन त्वचा रोग आदि!. एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।
आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया |
डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं |
केरल आयुर्वेदिक युनिवर्सिटी आंफ रिसर्च केन्द्र के अनुसार, हर वर्ष 20 लाख लोगों की मौतों का कारण बन गया है...
रिफाइंड तेल
#रिफाइंड तेल से *DNA डैमेज, RNA नष्ट, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज, ब्रेन डैमेज, लकवा शुगर (डाईबिटीज), रक्त चाप, नपुंसकता *कैंसर,* *हड्डियों का कमजोर हो जाना, जोड़ों में दर्द, कमर दर्द, किडनी डैमेज, लिवर खराब, कोलेस्ट्रोल, आंखों रोशनी कम होना, प्रदर रोग, बांझपन, पाइल्स, त्वचा रोग आदि। एक हजार रोगों का प्रमुख कारण है।
#रिफाईनड_तेल_बनता_कैसे_है?
बीजों का छिलके सहित तेल निकाला जाता है। इस विधि में जो भी अखाद्य पदार्थ तेल में आते हैं, उन्हें साफ कर के तेल को स्वाद गंध व कलर रहित करने के लिए रिफाइंड किया जाता है।
वाशिंग
वाशिंग करने के लिए पानी, नमक, कास्टिक सोडा, गंधक, पोटेशियम, तेजाब व अन्य खतरनाक एसिड इस्तेमाल किए जाते हैं, ताकि अखाद्य तत्व इस से बाहर हो जाएं |इस प्रक्रिया मैं तारकोल की तरह गाढ़ा वेस्टेज निकलता है जो कि टायर बनाने में काम आता है। यह तेल एसिड के कारण जहर बन गया है।
*Neutralisation*--
तेल के साथ कास्टिक सोडा या साबुन को मिक्स करके 180°F पर गर्म किया जाता है। जिससे इस तेल के सभी पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
*Bleaching*--
इस विधि में P. O. P (प्लास्टर ऑफ पेरिस) /पी. ओ. पी. (यह मकान बनाने मे काम ली जाती है) का उपयोग करके तेल का कलर और मिलाये गये कैमिकल को 130 °F पर गर्म करके साफ किया जाता है।
*Hydrogenation*--
एक टैंक में तेल के साथ निकोल और हाइड्रोजन को मिक्स करके हिलाया जाता है। इन सारी प्रक्रियाओं में तेल को 7-8 बार गर्म व ठंडा किया जाता है, जिससे तेल में पालीमर्स बन जाते हैं, उससे पाचन प्रणाली को खतरा होता है और भोजन न पचने से सारी बीमारियाँ होती हैं।
*निकेल*
एक प्रकार की उत्प्रेरक धातु होती है जो हमारे शरीर के श्वसन तंत्र यकृत, त्वचा, चयापचय, DNA, RNA को भंयकर नुकसान पहुंचाता है।
रिफाइंड तेल के सभी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और एसिड (कैमिकल) मिल जाने से यह भीतरी अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
जयपुर के प्रोफेसर ने बताया कि गंदी नाली का पानी पी लें, उससे कुछ भी नहीं होगा क्योंकि हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता उन बैक्टीरिया को लड़कर नष्ट कर देता है, लेकिन रिफाइंड तेल खाने वाला व्यक्ति की अकाल मृत्यु होना निश्चित है!
हमारा शरीर करोड़ों कोशिकाओं से मिलकर बना है। शरीर को जीवित रखने के लिए पुरानी कोषिकाओं की जगह नयी कोषिकाएँ बनती रहती हैं। नयी कोशिकाएँ बनाने के लिए शरीर खून का उपयोग करता है। यदि हम रिफाइंड तेल का उपयोग करते हैं तो खून में विषाणुओं की मात्रा बढ़ जाती है व शरीर को नए सेल बनाने में अवरोध आता है,
तो कई प्रकार की बीमारियाँ जैसे---
कैंसर , मधुमेह, हार्ट अटैक, किडनी खराब, एलर्जी, पेट का अल्सर, असमय वृद्धावस्था, नपुंसकता, गठिया, अवसाद, रक्त चाप आदि हजारों बीमारियाँ होंगी।
रिफाइंड तेल बनाने की प्रक्रिया से तेल बहुत ही मंहगा हो जाता है, तो इसमे पाम आयल मिलाया किया जाता है! (पाम आयल स्वयं एक धीमी मौत है।)
सरकार का आदेश--
हमारे देश की पॉलिसी अमरिकी सरकार के इशारे पर चलती है। अमरीका का #पाम खपाने के लिए पूर्व सरकार ने एक अध्यादेश लागू किया कि प्रत्येक तेल कंपनियों को 40 % खाद्य तेलों में #पामआयल मिलाना अनिवार्य है, अन्यथा लाईसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
इससे अमेरिका को बहुत फायदा हुआ। पाम के कारण लोग अधिक बीमार पड़ने लगे, हार्ट अटैक की संभावना 99 % बढ़ गई, तो दवाइयां भी अमेरिका की आने लगीं। हार्ट मे लगने वाली स्प्रिंग (पेन की स्प्रिंग से भी छोटा सा छल्ला) दो लाख रुपये की बिकती हैं।
यानी कि अमेरिका के दोनो हाथों में लड्डू, पाम भी उनका और दवाइयां भी उनकी!
अब तो कई नामी कंपनियों ने पाम से भी सस्ता,
गाड़ी में से निकाला काला आयल (जिसे आप गाड़ी सर्विस करने वाली गैराज में छोड़ आते हैं)
वह भी रिफाइंड कर के खाद्य तेल में मिलाया जाता है। अनेक बार अखबारों में पकड़े जाने की खबरें आती हैं।
#सोयाबीन एक दलहन हैं, #तिलहन नहीं...
दलहन में... मूँग, मोठ, चना, सोयाबीन, व सभी प्रकार की दालें आदि होती है।
तिलहन में... तिल, सरसों, मुमफली, नारियल, बादाम, जैतून, आदि आती हैं।
अतः सोयाबीन तेल भी पाम आयल ही होता है। पाम आयल को #रिफाइंड बनाने के लिए सोयाबीन का उपयोग किया जाता है।
सोयाबीन की एक खासियत होती है कि यह प्रत्येक तरल पदार्थ को सोख लेता है। पाम आयल एक दम काला और गाढ़ा होता है। उसमें साबुत सोयाबीन डाल दिया जाता है जिससे सोयाबीन बीज उस पाम आयल की चिकनाई को सोख लेता है और फिर सोयाबीन की पिसाई होती है, जिससे चिकना पदार्थ तेल तथा आटा अलग अलग हो जाता है।
आटा से सोया मुँगौडी बनाई जाती है।
आप चाहें तो किसी भी तेल निकालने वाले के सोयाबीन ले जा कर, उससे तेल निकालने के लिए कहें। मेहनताना एक लाख रुपये भी देने पर वह तेल नहीं निकाल सकता, क्योंकि सोयाबीन का आटा बनता है, तेल नहीं।
तो आप शुद्ध तेल खाइए, #सरसों का, #मूंगफली का, #तिल का, या #नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है |
तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है #प्रोटीन के लिए |
4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी | और ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे,
जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |
जब सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डाक्टरों ने जो कुछ भी कहा "तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |"
तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotein), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |
अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | #मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे #पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों #टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है |
7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है |
पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है.
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